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द गर्ल इन रूम 105

कैप्टन फ़ैज़ खान, मैंने कहा प्लीज़ खड़े हो जाइए।' - क्या?" फ़ैज़ ने हिचकते हुए कहा, लेकिन सफ़दर ने घूरकर देखा तो वो खड़ा हो गया। 'मुझे आपकी मदद की दरकार है।"

“क्या?" फ़ैज़ ने कहा।

'अगर क़ातिल भागने की कोशिश करे तो मुझे आपकी ताक़त की ज़रूरत होगी।' सौरभ, रघु और सफदर सभी हैरानी से मुझे देखने लगे। 'लेकिन तुमने तो कहा था—' सफ़दर कहने लगे, लेकिन मैंने उन्हें बीच में ही रोक दिया।

* अंकल, मैं काफ़ी बोल चुका हूं। अब समय आ गया है कि हत्यारा खुद हमें सच बताए।' सभी एक-दूसरे की ओर कंफ्यूज्ड नज़रों से देखने लगे।

मैं केवल इतना ही कह सकता हूं—6ई766, 8 फ़रवरी, 2018...

"तुम क्या बोल रहे हो, भाई? ये सब क्या है?" सौरभ ने कहा ।

'एक मिनट, सौरभ,' मैंने कहा 'मेरे पास एयरपोर्ट की सीसीटीवी फुटेज हैं.....

कुर्सी के चरमराने की आवाज़ आई और रघु उठ खड़ा हुआ।

मैं अभी रेस्टरूम से आया, 'रघु ने कहा।

'कैप्टन फैज, मैंने कहा और रघु की ओर इशारा किया। मिलिट्री कमांडो पलभर में मेरा इशारा समझ गया। फैज़ तेजी से उठा और रघु को अपनी मजबूत बांहों से पकड़ लिया।

'तुम कहीं नहीं जाओगे, फैज़ ने कहा।

"अरे, मैं तो बस टॉयलेट जाना चाहता था,' रघु ने अपना चश्मा ठीक करते हुए कहा। "नहीं, तुम टॉयलेट नहीं जा सकते। बैठ जाओ, रघु, और सबको बताओ कि क्या हुआ था, मैंने कहा।

फ़ैज़ ने रघु को छोड़ दिया। रघु बैठ गया। "क्या हुआ था?" सफ़दर ने कहा ।

"भाई, ये क्या है?' सौरभ ने कहा और मेरी ओर देखा।

"रघु तो उस समय हैदराबाद में था,' सफ़दर ने कहा। मैं रघु की ओर मुड़ा।

“क्या तुम प्लीज़ सभी लोगों का कंफ्यूजन दूर कर सकते हो?" मैंने कहा।

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1 Comments

Babita patel

29-Jun-2023 02:47 PM

nice

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